बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन
प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
अथवा
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते पर एक निबन्ध लिखिए।
अथवा
भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौते का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर -
भारत-अमेरिका परमाणु समझौता
(Indo-America Nuclear Pact)
कई वर्षों की लम्बी जद्दोजहद के उपरान्त भारत-अमेरिका असैन्य (नागरिक) परमाणु समझौते को कानून बनाने की अन्तिम औपचारिकता पूरी करते हुए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने 8 अक्टूबर, 2008 को इस समझौते पर हस्ताक्षर कर दिये। इस अमेरिकी कानून के साथ ही भारत के साथ असैनिक मकसदों के लिए परमाणु ईंधन और तकनीक के व्यापार पर तीन दशकों से लगा प्रतिबन्ध समाप्त हो गया।
यह समझौता अमेरिका के एक एटॉमिक एनर्जी एक्ट की धारा 123 के प्रावधानों के तहत सम्पन्न किया गया है, इसलिए इसे 123 समझौते के नाम से जाना जाता है। 34 वर्षों से नाभिकीय प्रतिबन्ध का सामना कर रहे भारत के लिए इस समझौते के साथ एक नये युग का प्रारम्भ हुआ है। वर्ष 1974 में अमेरिका ने भारत के साथ परमाणु सहयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया था, जिसके परिणामस्वरूप तारापुर परमाणु केन्द्र के लिए अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने परमाणु ईंधन की सप्लाई बन्द कर दी थी। 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद ये प्रतिबन्ध और भी कड़े कर दिये गये थे। इससे शान्तिपूर्ण उद्देश्यों के लिए भी भारत का परमाणु कार्यक्रम बाधित हो गया था।
इस समस्या से निपटने के लिए भारतीय प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश के साथ बातचीत प्रारम्भ की। इसके अन्तर्गत भारत सैन्य व असैन्य परमाणु रिएक्टरों को अलग-अलग चिन्हित कर असैन्य रिएक्टरों को अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेन्सी तथा नाभिकीय आपूर्तिकर्ता की निगरानी के लिए सहमत हो गया था। इस समझौते के कार्यान्वयन हेतु अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेन्सी तथा नाभिकीय आपूर्तिकर्ता समूह का अनुमोदन आवश्यक था। इस समझौते की सभी औपचारिकताएँ पूरी हो जाने के बाद भारत अब परमाणु प्रौद्योगिकी वाले देशों की मुख्य धारा में शामिल हो गया है। अब भारत की पहुँच असैन्य उद्देश्यों के लिए अद्यतन प्रौद्योगिकी तक हो सकेगी। इस समझौते के बाद भारत विद्युत उत्पादन में वृद्धि कर सकेगा क्योंकि इस समझौते के बाद भारत द्वारा एन.एस.जी देशों से नाभिकीय सामान की खरीददारी आसानी से की जा सकेगी। एक आंकलन के अनुसार भारत में परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अगले 15 वर्षों के भीतर 1,20,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा।
एन. एस. जी. में मंजूरी के लाभ एन. एस. जी. में मंजूरी मिल जाने से असैन्य परमाणु क्षेत्र में भारत को निम्नलिखित लाभ होंगें.-
1. भारत एन. एस. जी. में शामिल सभी 45 देशों से परमाणु संयंत्र व ईंधन खरीद सकेगा। साथ ही पाँच परमाणु सम्पन्न देशों की भाँति भारत भी परमाणु हथियार रख सकेगा।
2. भारतीय वैज्ञानिकों की पहुँच असैनिक परमाणु प्रौद्योगिकी तक हो गई है।
3. भारत प्रथम चरण में रूस व फ्रांस से 1000 मेगावाट वाले आठ रिएक्टर खरीदेगा।
4. अभी तक परमाणु क्लब में पाँच सदस्य थे लेकिन अब भारत इसका छठवाँ सदस्य बन गया है।
5. वर्ष 2030 तक भारत 63000 मेगावाट परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करने में सक्षम हो जायेगा। जिससे भारत में ऊर्जा की समस्या का काफी सीमा तक समाधान हो जायेगा।
6. भारत हैवी इलेक्ट्रिकल एन.टी.पी.सी. एवं एल एंड टी जैसी कम्पनियाँ 30 देशों में परमाणु संयंत्रों का व्यापार कर सकेगी।
भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को अमेरिकी सीनेट में मंजूरी 1 अक्टूबर, 2008 को अमेरिकी सीनेट ने भारत-अमेरिकी असैन्य परमाणु समझौते पर अपनी मुहर लगा दी। इस समझौते को अमेरिकी राष्ट्रपति बुश की व्यक्तिगत जीत के रूप में देखा गया क्योंकि यह समझौता उनकी प्राथमिकताओं की सूची में सबसे ऊपर था सीनेट में यह समझौता 13 के मुकाबले 86 वोटों से पारित हुआ। इस समझौते की खास बात यह रही कि रिपब्लिकन व डेमोक्रेटिक दोनों ही पार्टियों ने इस समझौते को पारित करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस समझौते से विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ अमेरिका का रणनीतिक गठजोड़ हो जायेगा तथा अमेरिका के लिए भारत में अरबों डॉलर का बाजार भी खुल जायेगा।
समझौते का मूल्यांकन इस असैन्य परमाणु समझौते से भारत को अपने परमाणु बिजलीघरों के लिए उपयुक्त ईंधन की आपूर्ति मिलेगी तो दूसरी तरफ अमेरिका को परमाणु ऊर्जा की तकनीक का एक उभरता हुआ बाजार मिलेगा जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नौकरियाँ पैदा होने की संभावना प्रबल हो मई है।
अन्तर्राष्ट्रीय कूटनीति में सारे सम्बन्ध स्वार्थों पर आधारित होते हैं। यही अमेरिका के साथ भी है। उसने विश्व के कई देशों में तानाशाहों का समर्थन किया है, इसलिए राष्ट्रपति बुश की यह बात हजम नहीं होती कि वह लोकतन्त्र होने के कारण से भारत के साथ है। वास्तव में अमेरिका की निगाहें भारत की बड़ी बाज़ार पर है जिसमें वह आसानी से अपने उत्पाद उतार सकता है तथा साथ ही प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण से अमेरिका को भविष्य में भारी फायदा हो सकता है।
परमाणु क्षेत्र में व्यावसायिक समझौतों का दौर शुरू हो गया है और दो-तीन वर्षो में भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में गति आ जायेगी। प्रारम्भ मंक इसका पहला फायदा फ्रांस तथा रूस को होता दिख रहा है। हालाँकि अमेरिका को प्रारम्भ में इस समझौते से कुछ विशेष लाभ नहीं होता दिख रहा परन्तु कुल मिलाकर यह समझौता दोनों ही देशों के लिए कम से कम घाटे का सौदा तो बिल्कुल भी नहीं है।
इस समझौते से भारत को सबसे बड़ा फायदा बिजली के क्षेत्र में होने जा रहा है। भारत के विकास में बिजली की समस्या सदैव भारत में बाधा रही है परन्तु अब परमाणु बिजली के द्वारा बिजली की आवश्यकताओं को काफी हद तक पूरा किया जा सकेगा।
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- प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
- प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
- प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
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- प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
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- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
- प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
- प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
- प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
- प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
- प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
- प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
- प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
- प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
- प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
- प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
- प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।